Friday 2 December 2011

जिंदगी के बाजार में ख्वाहिशें नीलाम होती है

जिंदगी के बाजार में ख्वाहिशें नीलाम होती है,
खो जाती है तमन्नाएं, उम्मीदें खाक होती है।
जवां दिलों की हसरतों पर पहरे बिठाए जाते हैं,
सिसकियों में दिन गुजरे, तन्हाईयों में रातें तमाम होती है।।

कभी खिलती थी शोख कलियां जहां, वहां मौत के साए हैं,
कभी लगते थे दिलों के मेले जहां, वहां झूठी वफाएं हैं।
दिल की पाक कोशिशों पर तोहमत लगाए जाते हैं,
साफ, बेदाग रुखसार को दागदार बताए जाते हैं।।

हर तरफ धोखा है, फरेब है, भीड़ है इंसानों की,
प्यार तो फकत एक सौदा है, हुस्न के बाजार की।
नित नए दोस्ती के रंग बदले जाते हैं,
इस बेदिली पर हम भी मुस्कराए जाते हैं।।

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