Saturday, 19 November 2011

दिल-ए-नादां बता तुझे हुआ क्या है..

दिल-ए-नादां ये बता तुझे हुआ क्या है,
खोया-खोया सा रहता है, बता तेरी दवा क्या है।
ना दिन में चैन है, ना आंखों में नींद हैं,
उनींदा सा रहता है हर पल, ये रोग तुझे लगा क्या है।।

ना भूख का पता, ना प्यास की तुझे खबर है,
दुनिया से तू अनजाना है, हर गम से तू बेगाना है।
हर पल तुझे बस महबूब की लगन है,
हर बात में तेरे उसकी ही शाई है।

क्या ये प्यार तो नहीं जो तुझको हुआ है,
क्या ये वो खुमार तो नहीं जो तुझपे चढ़ा है।
दुनिया की बातों से तू बेखबर है,
अपनी मस्ती में डूबा, बस खुद में मगन है।

चला है अपनी धुन में, तुझे नहीं खबर है,
बेदर्द है ये दुनिया, यहां हसरतों का नहीं, हसरतों के दफन का चलन है।

Monday, 14 November 2011

याद तेरी आए तो क्या करें...

याद तेरी आए तो क्या करें,
दिल तुझे बुलाए तो क्या करें।
दिल की गहराइयों में बसा है तू,
सांसों की पुरवाइयों में बसा है तू,
जब दिल तन्हा आंसू बहाए तो क्या करें।।

जब धड़कने शोर मचाए तो क्या करें,
तू है, तो मेरा वजूद है, तू है तो मेरे हर तरफ नूर है,
ये बातें तुझे समझ न आए तो क्या करें,
तेरा गम मुझे रुलाए तो क्या करें।।

मैं तेरी हूं- तू मेरा है, मैं तुझसे हूं- तू मुझसे है,
दिल के तार ये गीत गाएं तो क्या करें,
सुबह-शाम तेरी याद सताए तो क्या करें।

कब समझेगा तू मेरे इस दर्द को,
कब बज्म में तेरे मेरा भी कलाम होगा।
जब तू ही बेदर्द बन जाए तो क्या करें,
जब चिराग-ए-इश्क ही बुझ जाए तो क्या करें।।

Saturday, 12 November 2011

आंखों में सपने लिए हजार

आंखों में सपने लिए हजार,
फिरते हैं हम तमन्ना-ए-यार।
कोई तो मिले जो इन सपनों को पंख दें,
जीने के लिए इन सांसों को छंद दे।।

अवारा धड़कनों की कश्ती को किनारा दे,
टिमटिमाते हुए लौ को हाथों का सहारा दे।
हम जीए उस-के लिए, हम मरे उस-के लिए,
वो जो भरने को उड़ान एक खुला आसमान दे।।

सांसे मेरी जुड़ जाएं उसकी सांसों के तार से,
मुझे इस कदर जीने का वो अधिकार दे।

Thursday, 10 November 2011

तेरा आना....

तेरा आना,जैसे हवा में सरगोशी का आलम,
तेरा मिलना,जैसे रूह में मदहोशी का आलम.
तू समां गया एस कदर मेरे जेहन में,
तेरे बाद कुछ ना रहा एस दिल में.

तू है तो दुनिया कितनी हसीन है,
तू है तो हर गम जह-ए-नसीब है.
तेरा ख्याल मेरे मन के तारो में झंक्रीत है,
तेरा शबाब सारे मय-खाने को मदहोश कर देता है.

तू बस जा एस कदर मेरे रूह में,
चाहूं भी तो रह ना सकूं तुझ-से दूर मै.

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।
जिंदगी, तू अपने आप में एक पहेली है,
कभी हमदम तो कभी सहेली है।

ना जाने किस मोड़ पर तू किससे मिला दे,
कभी वो रुह का मालिक बने तो कभी आंखों से छलकता पानी है।
कुछ दूर से कुछ पास से, हमने देखा है तुझसे नजरे-खास से,
रंग तेरा चढ़ती धूप सा, रूप तेरा है खुर्शीद सा।
जिसने तुझे जाना, वो तेरा हो गया,
जो न तुझे समझा, वो दुनिया में कहीं खो गया।

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।