Thursday 10 November 2011

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।
जिंदगी, तू अपने आप में एक पहेली है,
कभी हमदम तो कभी सहेली है।

ना जाने किस मोड़ पर तू किससे मिला दे,
कभी वो रुह का मालिक बने तो कभी आंखों से छलकता पानी है।
कुछ दूर से कुछ पास से, हमने देखा है तुझसे नजरे-खास से,
रंग तेरा चढ़ती धूप सा, रूप तेरा है खुर्शीद सा।
जिसने तुझे जाना, वो तेरा हो गया,
जो न तुझे समझा, वो दुनिया में कहीं खो गया।

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।

1 comment:

  1. bahut achhi shuruyat hai ...keep it up waiting for new ones .

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