Saturday 31 December 2011

एक लड़की हवा के संग-संग झूमती

एक लड़की हवा के संग-संग झूमती,
लहरों पर डोलती वो,
तितलियों के पीछे-पीछे भागती,
फूलों के संग खेलती वो,
बंदिशों को तोड़ती वो।

सोचती थी उड़ा करेगी, नीले खुले आसमान में,
चाहती थी समेट ले सारी खुशियां वो जहान की,
हर तरफ बिखेरती रंग अपने प्यार के वो,
छेड़ती गीत अनुराग के, जिंदगी के हर साज पे वो,
भोली सी वो, नाजुक सी, दुनिया के चालों से बेखबर,
हर शै में रंग भर देने की सोचती वो।

आंख खुली और टूटा सपना,
समझ आ गई जिंदगी,
खुशियों को नोचते ये पशु, इंसानों के वेश में,
दे जाते हैं दर्द दिल को, बन कर हमदर्द तेरे,
छिन लेते हैं चैन दिल का, प्रेम भरी बातों से,
सिसकियां उसकी रह गई, गह्वर में घुट के।

कौन जाने किस गली में खो गई कामनाएं उसके प्यार की,
आज ना वो रंग है, ना वो उमंग है,
बस जीवित रहने के लिए जीवन से हो रही एक जंग है।

Friday 30 December 2011

'कल रात ख्वाब में देखा तुझे अपने पास'

कल रात ख्वाब में देखा तुझे अपने पास,
माथे पर स्पर्श तेरे अधरों का,
कांधों को थामे तेरी बाहें,
जगाती हैं अहसास तेरा,
मेरे अंदर विचित्र सा,
तेरे साथ का, तेरे भरोसे का।

ऐसा लगता है, तू औऱ मैं,
जैसे माला में गुहे गए मोतियों की तरह,
बंध गए एक धागे में, एक बंधन में।

क्या कहूं तुझसे? कैसे कहूं?
जी करता है, दिल का एक-एक जख्म दिखाऊं तुझे,
पर नहीं चाहती इस अभिसार बेला में, कोई अवसाद का क्षण,
नहीं खोना चाहती इन मधुर रसिक पलों को,
पाकर तुझे विश्वास नहीं होता अपनी नियति पर,
निःशब्द सी रह जाती हूं,
 एक अंजाना भय, तुझे खोने का डर
घेर लेता है भूरे बादलों की तरह।

"तेरी जुदाई का तसव्वर भी भला कैसे करूं,
हाथों की लकीरों में पाया है तुझे"
गूंज उठता है किसी शायर का कलाम मेरे मन में,
तू मेरा मान है, अभिमान है,
मेरी सांस की हर आगम का कारण है,
मेरे ह्रदय के हर स्पंदन में स्पंदित,
मन के हर कोने में पूजित,
कैसे जा सकते हो मुझसे दूर कभी,
मेरे प्रियवर! 

Sunday 18 December 2011

आया एक दिन तू मन के द्वार

चेहरे पर लिए स्निग्ध मुस्कान,
आंखों में निश्चल प्यार।
आया एक दिन तू, मन के द्वार,
खुशियां समेटे अपने दामन में,
संताप हरण को।।

आंखे कितनी निष्पाप, भाव मृदु
छू गया मुझे तेरा स्पर्श।
लगा अबोध शिशु,

हुआ प्रकट, अंतस के अंधकार हरण को,
तुझे बोध नहीं है, मेरे अंतर में फैले अंधियारे का,
धूमिल न होने देना, कर रही थी प्रतीक्षा।
एक उजास की, सदियों से।।

यही एक अभिलाषा है।

कुछ बात है तुझ में, जो मुझको तेरी ओर लेकर आती है,
तू पर्वत सा शीश उठाए है, मैं सरिता सी बहती रहती हूं।
तेरे चेहरे का वो प्रखर तेज, मेरे दग्ध ह्रदय में आभाषित है,
तेरी वाणी का वो मधुर स्वर, मेरे रोम-रोम में झंकृत है।।

कमल नयन सी आंखे तेरी, मन में राग जगाती है,
नीलकंठ सी ग्रीवा तेरी, सुप्त कामनाएं जगाती है।
तू राग है, मैं तेरी रागिनी, तू चांद है, मैं तेरी चांदनी,
तू उज्जवल, धवल, भोर की बेला,
मैं तपती दोपहरी की धूप हूं।।

तेरे आ जाने से जीवन सर्दी सी मीठी धूप बना,
तेरे छूने से तन-मन में जागी एक हूक सी है।
तू सावन की पहली बौछारे,
मैं बारिश की उफनती धारा हूं।।

तू अनन्त आकाश, और मैं एक नन्हा सा तारा हूं,
किया है मैने तुझ-को, खुद-को अर्पण।
तू ही जीने का सहारा है,
साथ तेरा यूं बना रहे जीवन भर,
यही एक अभिलाषा है।।

Sunday 11 December 2011

'जूस्तजू दिल की रह जाती है घुट कर दिल ही में'

किश्तों की है जिंदगी हमारी, किश्तों सी है खुशियां,
किश्तों में है बंट गई, छोटी सी ये दुनिया।
जूस्तजू दिल की रह जाती है घुट कर दिल ही में,
नग्में जीवन के गाता नहीं, कोई भरी महफिल में।।

क्यूं रोता है तू सपनों के टूट जाने पर,
आ हंस ले जरा, छोटी-छोटी खुशियों के मिल जाने पर।
कभी तो सुबह आएगी, घोर निशा के बाद,
कभी तो तारे चमकेंगे, बादल के छंट जाने के बाद।।

जी तू इस कदर, जैसे लहरें हो सागर में,
खुशियों को भर ले तू, इन आंखों के गागर में।
आ चलें कुछ दूर तलक,  जिंदगी के रंग बिखरे हो जहां,
जहां कहते ना धूप रहती, ना छाया ही वहां,
दामन में समेटे सौगातें, बांटे खुशी, जी ले पूरी जिंदगी।।

Friday 9 December 2011

'तब तुम याद आते हो'

जब मस्त पवन के झोंके, पत्तों से टकराते हैं,
जब शाख से टूटे गुन्चे, मेरे दामन में गिर जाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।

तेरे बाहों की वो गरमी, तेरे प्यार की वो नरमी,
तेरा चुपके से कुछ कहना, मेरा हौले से शरमाना,
जब सुरमई आंखों में ख्वाब कई सजते हैं,
जब ओस की बूंदे फूलों को छूती है,
मुझे तुम याद आते हो।

वो गोधूली की बेला में, डूबते सूरज को निहारना,
वो चांदनी रातों में एकटक तारों का निरखना,
जब सर्द हवा के झोंके, बदन में राग जगाते हैं,
जब बारिश की बूंदे, मेरे तन-मन को भिंगाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।।

Wednesday 7 December 2011

'निगाहों से जो बयां है, जुबां से छुपाए कैसे'

निगाहों से जो बयां है, उसे जुबां से छुपाएं कैसे,
दिल के जख्मों को दुनिया की नजरों से बचाएं कैसे।
दिल के टूटने की आवाज नहीं होती,
ये वो सरगम है, जिस की कोई साज नहीं होती।।

दिल जो तड़पे तो लेकर इसे जाएं कहां,
इसके टुकड़ों को सहेज कर छुपाएं कहां।
जब-जब शाम ढ़लेगी, रातें नश्तर चुभाएगी,
तेरी याद में तड़पूंगी, करवटें मुझे जलाएगी।।

होठों पर झूठी हंसी से, राज दिल के छुपते नहीं,
झूठ-मूठ के किस्सों से, नमीं आंखों की बचती नहीं।
कतरा-ए-दिल करे शोर तो भुलाएं कैसे,
बेखुदी में दिल को रहे ना होश, तो समझाएं कैसे।।



Sunday 4 December 2011

"चलते-चलते यूं ही राहों में, ना जाने तुम कैसे मिल गए"

चलते-चलते यूं ही राहों में, ना जाने तुम कैसे मिल गए,
जैसे दिल की खामोशी में हलचल सी हो गई।
वो तेरा मिलना, जैसे चुपके से किसी ने कानों में कुछ कहा हो,
वो तेरी बातें, जैसे पहली बारिश की बूंदे गिरी हो जमीं पर,
हंसी तुम्हारी जैसे उन्मुक्त गगन में पाखी उड़ते हो कई।।

वो मेरा रूठना, वो तेरा मनाना, बच्चों की छुपा-छुपी जैसे,
हाथ पकड़ कर दरिया से साहिल पर तुम ले गए।
डूबती सांसों से अपनी सांस तुमने जोड़ दी,
रात के अन्धकार में रोशनी की किरण,
जैसे, कोह-ए-तूर से उतरी हो, और मुझ पर फैली।।

तुम हमराह हुए, हमराज हुए, हमदम हुए,
ए मेरी जिंदगी की किश्ती के नाखुदा।।

'क्यूं कर गुजर रहे हैं मेरी जिंदगी के दिन, तेरे बिन'

क्यूं कर गुजर रहे हैं मेरी जिंदगी के दिन, तेरे बिन.
तू रु-ब-रु हो तो तुझे बताऊं।
क्यूं आह दिल में दबी-दबी, ये मुश्किलों के दिन,
तू समझ सके तो तुझे समझाऊं।।

वो तेरा आना जिंदगी की रोशनी थी,
वो तेरा जाना तन्हाईयों का आगाज था।
तेरे बिन कटता नही एक पल मेरा,
तेरे बिना सजता नहीं यौवन मेरा।।

तू आ जा कि ये दिल बे-करार है,
तू आ जा कि दिल को नहीं करार है।
क्यूं सांस है घुटी-घुटी मेरी, हसरतों के बिन,
तू पास आए तो तुझे सुनाऊं।।

क्यूं मयकदों के जाम है खाली, तेरी मयकशीं के बिन,
तू कोशिश तो कर, हाल-ए-दिल तुझे कैसे मैं समझाऊं।।

Friday 2 December 2011

जिंदगी के बाजार में ख्वाहिशें नीलाम होती है

जिंदगी के बाजार में ख्वाहिशें नीलाम होती है,
खो जाती है तमन्नाएं, उम्मीदें खाक होती है।
जवां दिलों की हसरतों पर पहरे बिठाए जाते हैं,
सिसकियों में दिन गुजरे, तन्हाईयों में रातें तमाम होती है।।

कभी खिलती थी शोख कलियां जहां, वहां मौत के साए हैं,
कभी लगते थे दिलों के मेले जहां, वहां झूठी वफाएं हैं।
दिल की पाक कोशिशों पर तोहमत लगाए जाते हैं,
साफ, बेदाग रुखसार को दागदार बताए जाते हैं।।

हर तरफ धोखा है, फरेब है, भीड़ है इंसानों की,
प्यार तो फकत एक सौदा है, हुस्न के बाजार की।
नित नए दोस्ती के रंग बदले जाते हैं,
इस बेदिली पर हम भी मुस्कराए जाते हैं।।

क्यूं जलता है दिल, क्यूं आंख है नम

क्यूं जलता है दिल, क्यूं आंख है नम,
क्यूं शिकवे है कई और वक्त है कम।
इस दबी हुई चिंगारी को हवा न दो,
इस राख के ढ़ेर पर महल अपना खड़ा न करो।।

जल जाएगा आशियाना तेरा, तू समझता ही नहीं,
गिर जाएगा महल तेरा, ये तुझे पता ही नहीं।
कहां लेकर जाएं इस नामुराद दिल को
हसरते हैं कई मगर कोई समझता ही नहीं।।

सूख गई नदी इन आंखों की,
अब किसी का प्यार इन पर बरसता ही नहीं।
उम्मीदे हैं कई, तमन्नाएं हैं कई,
मगर इनको पूरी करने की राह कोई दिखती ही नहीं।।

दफन हो जाएगी कब्र में ये नामुराद हसरतें मेरी,
क्योंकि कब्र से उठकर सपने कभी पूरे होते नहीं।।

Thursday 1 December 2011

दिल की तन्हाईयों का आलम न पूछ मेरे दोस्त

दिल की तन्हाईयों का आलम न पूछ मेरे दोस्त
एक अरसा हो गया मुस्कुराए हुए।
कभी दर्दे दिल ने इसे बेजार किया तो,
कभी बेदर्द दुनिया ने इसे तार-तार किया।
तू तो सब जानता है मेरे दोस्त,
हम तो हैं बस दिल को बहलाए हुए।।

कभी सपनों को छिना, तो कभी कांटे हैं बिछाए,
लोगों ने न जाने, कैसे-कैसे जख्म दिल पे हैं लगाएं।
फिर भी तू कहता है मेरे दोस्त, तू क्यों है अपने जज्बातों को दबाए हुए,
एक तेरा प्यार था मेरे जीने का मकसद,
एक तेरा साथ था दुनिया की हसरत।
न जाने उस पर भी मेरे दोस्त,
पहरे लगा दिए जमाने ने मेरे लिए।।


दिल रोए तो दिखाएं कैसे..

दिल रोए तो दिखाएं कैसे, इस दर्द को छुपाए कैसे।
दिल के टुकड़ों को समेटा नहीं किसी ने,
बेदर्द दुनिया में मेरे दर्द को सहेजा नहीं किसी ने।
कोई तो ऐसा हो जिसे कह सकूं मैं अपना,
कोई तो ऐसा हो जो हो मेरा हमसाया।।

हमने तो हर दर्द में खुशी ढ़ूंढ़ी,
हमने तो हर मोड़ पर जां-नशी ढ़ूंढ़ी।
जर्रा-जर्रा मेरी दास्तां की गवाही देंगे,
हर सुब-ओ-शाम मेरे दर्द की निशानी देंगे।
जब जाएंगे छोडड़ इस बेदर्द जमाने को,
मेरे नगमें मेरे दर्द की बयानी देंगे।।



Saturday 19 November 2011

दिल-ए-नादां बता तुझे हुआ क्या है..

दिल-ए-नादां ये बता तुझे हुआ क्या है,
खोया-खोया सा रहता है, बता तेरी दवा क्या है।
ना दिन में चैन है, ना आंखों में नींद हैं,
उनींदा सा रहता है हर पल, ये रोग तुझे लगा क्या है।।

ना भूख का पता, ना प्यास की तुझे खबर है,
दुनिया से तू अनजाना है, हर गम से तू बेगाना है।
हर पल तुझे बस महबूब की लगन है,
हर बात में तेरे उसकी ही शाई है।

क्या ये प्यार तो नहीं जो तुझको हुआ है,
क्या ये वो खुमार तो नहीं जो तुझपे चढ़ा है।
दुनिया की बातों से तू बेखबर है,
अपनी मस्ती में डूबा, बस खुद में मगन है।

चला है अपनी धुन में, तुझे नहीं खबर है,
बेदर्द है ये दुनिया, यहां हसरतों का नहीं, हसरतों के दफन का चलन है।

Monday 14 November 2011

याद तेरी आए तो क्या करें...

याद तेरी आए तो क्या करें,
दिल तुझे बुलाए तो क्या करें।
दिल की गहराइयों में बसा है तू,
सांसों की पुरवाइयों में बसा है तू,
जब दिल तन्हा आंसू बहाए तो क्या करें।।

जब धड़कने शोर मचाए तो क्या करें,
तू है, तो मेरा वजूद है, तू है तो मेरे हर तरफ नूर है,
ये बातें तुझे समझ न आए तो क्या करें,
तेरा गम मुझे रुलाए तो क्या करें।।

मैं तेरी हूं- तू मेरा है, मैं तुझसे हूं- तू मुझसे है,
दिल के तार ये गीत गाएं तो क्या करें,
सुबह-शाम तेरी याद सताए तो क्या करें।

कब समझेगा तू मेरे इस दर्द को,
कब बज्म में तेरे मेरा भी कलाम होगा।
जब तू ही बेदर्द बन जाए तो क्या करें,
जब चिराग-ए-इश्क ही बुझ जाए तो क्या करें।।

Saturday 12 November 2011

आंखों में सपने लिए हजार

आंखों में सपने लिए हजार,
फिरते हैं हम तमन्ना-ए-यार।
कोई तो मिले जो इन सपनों को पंख दें,
जीने के लिए इन सांसों को छंद दे।।

अवारा धड़कनों की कश्ती को किनारा दे,
टिमटिमाते हुए लौ को हाथों का सहारा दे।
हम जीए उस-के लिए, हम मरे उस-के लिए,
वो जो भरने को उड़ान एक खुला आसमान दे।।

सांसे मेरी जुड़ जाएं उसकी सांसों के तार से,
मुझे इस कदर जीने का वो अधिकार दे।

Thursday 10 November 2011

तेरा आना....

तेरा आना,जैसे हवा में सरगोशी का आलम,
तेरा मिलना,जैसे रूह में मदहोशी का आलम.
तू समां गया एस कदर मेरे जेहन में,
तेरे बाद कुछ ना रहा एस दिल में.

तू है तो दुनिया कितनी हसीन है,
तू है तो हर गम जह-ए-नसीब है.
तेरा ख्याल मेरे मन के तारो में झंक्रीत है,
तेरा शबाब सारे मय-खाने को मदहोश कर देता है.

तू बस जा एस कदर मेरे रूह में,
चाहूं भी तो रह ना सकूं तुझ-से दूर मै.

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।
जिंदगी, तू अपने आप में एक पहेली है,
कभी हमदम तो कभी सहेली है।

ना जाने किस मोड़ पर तू किससे मिला दे,
कभी वो रुह का मालिक बने तो कभी आंखों से छलकता पानी है।
कुछ दूर से कुछ पास से, हमने देखा है तुझसे नजरे-खास से,
रंग तेरा चढ़ती धूप सा, रूप तेरा है खुर्शीद सा।
जिसने तुझे जाना, वो तेरा हो गया,
जो न तुझे समझा, वो दुनिया में कहीं खो गया।

जिंदगी तुझसे हर मोड़ पे मैने कुछ पाया,
अपने आप को जिंदा रखने का सबब पाया।