Sunday 11 December 2011

'जूस्तजू दिल की रह जाती है घुट कर दिल ही में'

किश्तों की है जिंदगी हमारी, किश्तों सी है खुशियां,
किश्तों में है बंट गई, छोटी सी ये दुनिया।
जूस्तजू दिल की रह जाती है घुट कर दिल ही में,
नग्में जीवन के गाता नहीं, कोई भरी महफिल में।।

क्यूं रोता है तू सपनों के टूट जाने पर,
आ हंस ले जरा, छोटी-छोटी खुशियों के मिल जाने पर।
कभी तो सुबह आएगी, घोर निशा के बाद,
कभी तो तारे चमकेंगे, बादल के छंट जाने के बाद।।

जी तू इस कदर, जैसे लहरें हो सागर में,
खुशियों को भर ले तू, इन आंखों के गागर में।
आ चलें कुछ दूर तलक,  जिंदगी के रंग बिखरे हो जहां,
जहां कहते ना धूप रहती, ना छाया ही वहां,
दामन में समेटे सौगातें, बांटे खुशी, जी ले पूरी जिंदगी।।

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