जब मस्त पवन के झोंके, पत्तों से टकराते हैं,
जब शाख से टूटे गुन्चे, मेरे दामन में गिर जाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।
तेरे बाहों की वो गरमी, तेरे प्यार की वो नरमी,
तेरा चुपके से कुछ कहना, मेरा हौले से शरमाना,
जब सुरमई आंखों में ख्वाब कई सजते हैं,
जब ओस की बूंदे फूलों को छूती है,
मुझे तुम याद आते हो।
वो गोधूली की बेला में, डूबते सूरज को निहारना,
वो चांदनी रातों में एकटक तारों का निरखना,
जब सर्द हवा के झोंके, बदन में राग जगाते हैं,
जब बारिश की बूंदे, मेरे तन-मन को भिंगाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।।
जब शाख से टूटे गुन्चे, मेरे दामन में गिर जाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।
तेरे बाहों की वो गरमी, तेरे प्यार की वो नरमी,
तेरा चुपके से कुछ कहना, मेरा हौले से शरमाना,
जब सुरमई आंखों में ख्वाब कई सजते हैं,
जब ओस की बूंदे फूलों को छूती है,
मुझे तुम याद आते हो।
वो गोधूली की बेला में, डूबते सूरज को निहारना,
वो चांदनी रातों में एकटक तारों का निरखना,
जब सर्द हवा के झोंके, बदन में राग जगाते हैं,
जब बारिश की बूंदे, मेरे तन-मन को भिंगाते हैं,
मुझे तुम याद आते हो।।
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