Thursday 19 January 2012

मां का प्यार है ऐसा जग में, जिसका कोई मोल नहीं

आंखों में है नीर और ममता अन्तः स्थल में, 
आंचल में है दूध और करुणा मन में तेरे।
मां तू कितनी अच्छी है, मां तु कितनी सच्ची है,
तुझसे ये जीवन है और तु जीने का आधार है।

जीवन की कड़ी धूप में, तेरा प्यार है शीतल छाया,
औरों को जीवन दे खुश होकर, यही हमको है सिखलाता।
कोख में अपने नौ माह तक, तु हमको जीती है,
खुद गीले में सोती है, और हमें सूखे में सुलाती है।

मां का ह्रदय पर्वत सा विशाल, प्यार विस्तृत गगन सा,
कोमल, नवल, धवल, श्वेत-स्वच्छ, प्रकाश सा मां का आंचल।
जब कभी निराशा के बादल, मन में छाते हैं,
तु इंद्रधनुष बन के हमारे मन को प्रफुल्लित करती है।

तेरा प्यार है ऐसा जग में, जिस का नहीं है मोल कोई,
शत्-शत् नमन तुझे ऐ मां, तुझ पर है ये ब्रह्मांड टिका।।

Friday 6 January 2012

जज्बातों की राख पर,सपने जवां नहीं होते

जज्बातों की राख पर,सपने जवां नहीं होते,
दम तोड़ देती है हसरते और किस्से बयान नहीं होते.
कहते है सूखें खेतो पर जब बारिश की बूँदें गिरती है,
तप्त ह्रदय पुलकित होते है और बीजों में जीवन आता है|
हरियाली की चादर ओढें ,धरती अंगडाई लेती है,
शाखों पर पंछी गाते है और चंचल चितवन शरमाती है|

कुछ ऐसा ही है जीवन तेरा  मेरा,
तू समझ ले राज़ ये जीवन का|
जब निराश निस्तेज आँखों में,इच्छाएं अंगडाई लेती है,
जब सुप्त-आकाश ,ह्रदय में,कामनाएं जन्म लेती है,
तब जीवन नयी उमंगें लेता है,
जिन्दगी हँसने लगती है|

जब निशब्द,विस्तृत व्योम से,दामिनी टकराती है,
तब उठ आ चल आशाओं को पंख दे,नयी उड़ानें भरने को,
एकाकार कर ले क्षितिज ये सारा,जीवन के रंग भरने को|

Thursday 5 January 2012

रस्म-ए-उल्फत निभाएं भी तो कैसे

रस्म-ए-उल्फत निभाएं भी तो कैसे,
तेरी चाहत के लायक नजर आए भी तो कैसे,

तेरे पास है एक शीशे सा दिल, मैं रास्ते का पत्थर हूं,
तू दरिया है मुहब्बत का, मैं जलता हुआ अंगारा हूं।
तेरा प्यार से सज़दे के काबिल मैं मयकदों की रानी हूं,
तू आफताब, मैं जर्रा हूं, तू तरूवर मैं तेरी छाया हूं।

तेरे लिए तो मैं ना बनी, तू खुदा की नेयमत है,
मेरे लिए तू क्यूं है परेशान, मैं चरण रज तेरे पैरों की।
ये दुनिया है पाषाण ह्रदय, तू क्यों आस लगाता है,
मेरे लिए तू गम न कर, तुझे कसम उस दाता की।

मैं जलती हुई चिता हूं, खाक में मिल जाऊंगी,
तू आसमां में चमकेगा, मैं तुझे देख मुस्कुराऊंगी।।


Tuesday 3 January 2012

कुछ नग्में जिंदगी के, आ चल गुनगुना लें

कुछ नग्में जिंदगी के, आ चल गुनगुना लें,
कुछ किस्से दोस्ती के, आ चल सुना ले,
अपने दामन में समेंटे दुनिया की खुशी,
चल भूखे बच्चों को बांटे, थोड़ी सी हंसी।

दुनिया के फिक्र-ओ-गम को हवा में उड़ा,
आ चल कुछ दूर, दर्द को ठोकर से हटा,
अपनी तन्हाईयों को जीने का सबब तू बना,
दुनिया के दर्द को बांट और हर पल तू मुस्कुरा।
जी ऐसे कि आंखों में तेरे नूर हो,
हर तरफ तेरा जलवा, तेरा ही शोर हो।

जिंदगी की साख पर तू, फूल आशा के खिला,
हर तरफ खुशियां चहके, ऐसा एक जहां तू बना,
तमन्नाओं की आग में, मत जिंदगी अपनी जला,
इस जहां से रुख्सती से पहले, एक मंत्र जिंदगी का तू सबको सिखा।।

Sunday 1 January 2012

उदास रात है, उमड़ रहा है जज्बातों का सैलाब

उदास रात है, उमड़ रहा है जज्बातों का सैलाब,
हो कहां तुम? दिल कर रहा है इंतजार।
सो गए थे भाव सारे, कर दिया जागृत तूने,
भर दिया प्यार से, मन के हर कोने को।

लीन हूं मैं स्वप्न में हर क्षण, जागते अहर्निश,
चाहती हूं जीत लेना, सारे युद्ध जीवन के।

नहीं है तू मेरा ज्ञात है मुझे,
पर करती हूं समर्पण तुझ पर,
लिए मन में एक विश्वास तुझे पाने का,
लिए यही आस, मैं प्रतीक्षारत रहूंगी, अनंत तक।