Sunday 1 January 2012

उदास रात है, उमड़ रहा है जज्बातों का सैलाब

उदास रात है, उमड़ रहा है जज्बातों का सैलाब,
हो कहां तुम? दिल कर रहा है इंतजार।
सो गए थे भाव सारे, कर दिया जागृत तूने,
भर दिया प्यार से, मन के हर कोने को।

लीन हूं मैं स्वप्न में हर क्षण, जागते अहर्निश,
चाहती हूं जीत लेना, सारे युद्ध जीवन के।

नहीं है तू मेरा ज्ञात है मुझे,
पर करती हूं समर्पण तुझ पर,
लिए मन में एक विश्वास तुझे पाने का,
लिए यही आस, मैं प्रतीक्षारत रहूंगी, अनंत तक।

1 comment:

  1. aanant se bhi aage,
    sare khwab jage,
    rubaru sanjida ye jivan,
    pana hain hi hame,
    gar mila sath,
    denge janm janmantar tak,
    oot prot samanway jindagi ki,
    tamanayo se bhi upar,
    wo to aayega,
    daman ko tham hame le jayega.........

    ReplyDelete