Friday 6 January 2012

जज्बातों की राख पर,सपने जवां नहीं होते

जज्बातों की राख पर,सपने जवां नहीं होते,
दम तोड़ देती है हसरते और किस्से बयान नहीं होते.
कहते है सूखें खेतो पर जब बारिश की बूँदें गिरती है,
तप्त ह्रदय पुलकित होते है और बीजों में जीवन आता है|
हरियाली की चादर ओढें ,धरती अंगडाई लेती है,
शाखों पर पंछी गाते है और चंचल चितवन शरमाती है|

कुछ ऐसा ही है जीवन तेरा  मेरा,
तू समझ ले राज़ ये जीवन का|
जब निराश निस्तेज आँखों में,इच्छाएं अंगडाई लेती है,
जब सुप्त-आकाश ,ह्रदय में,कामनाएं जन्म लेती है,
तब जीवन नयी उमंगें लेता है,
जिन्दगी हँसने लगती है|

जब निशब्द,विस्तृत व्योम से,दामिनी टकराती है,
तब उठ आ चल आशाओं को पंख दे,नयी उड़ानें भरने को,
एकाकार कर ले क्षितिज ये सारा,जीवन के रंग भरने को|

No comments:

Post a Comment