Thursday 19 January 2012

मां का प्यार है ऐसा जग में, जिसका कोई मोल नहीं

आंखों में है नीर और ममता अन्तः स्थल में, 
आंचल में है दूध और करुणा मन में तेरे।
मां तू कितनी अच्छी है, मां तु कितनी सच्ची है,
तुझसे ये जीवन है और तु जीने का आधार है।

जीवन की कड़ी धूप में, तेरा प्यार है शीतल छाया,
औरों को जीवन दे खुश होकर, यही हमको है सिखलाता।
कोख में अपने नौ माह तक, तु हमको जीती है,
खुद गीले में सोती है, और हमें सूखे में सुलाती है।

मां का ह्रदय पर्वत सा विशाल, प्यार विस्तृत गगन सा,
कोमल, नवल, धवल, श्वेत-स्वच्छ, प्रकाश सा मां का आंचल।
जब कभी निराशा के बादल, मन में छाते हैं,
तु इंद्रधनुष बन के हमारे मन को प्रफुल्लित करती है।

तेरा प्यार है ऐसा जग में, जिस का नहीं है मोल कोई,
शत्-शत् नमन तुझे ऐ मां, तुझ पर है ये ब्रह्मांड टिका।।

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