Tuesday 3 January 2012

कुछ नग्में जिंदगी के, आ चल गुनगुना लें

कुछ नग्में जिंदगी के, आ चल गुनगुना लें,
कुछ किस्से दोस्ती के, आ चल सुना ले,
अपने दामन में समेंटे दुनिया की खुशी,
चल भूखे बच्चों को बांटे, थोड़ी सी हंसी।

दुनिया के फिक्र-ओ-गम को हवा में उड़ा,
आ चल कुछ दूर, दर्द को ठोकर से हटा,
अपनी तन्हाईयों को जीने का सबब तू बना,
दुनिया के दर्द को बांट और हर पल तू मुस्कुरा।
जी ऐसे कि आंखों में तेरे नूर हो,
हर तरफ तेरा जलवा, तेरा ही शोर हो।

जिंदगी की साख पर तू, फूल आशा के खिला,
हर तरफ खुशियां चहके, ऐसा एक जहां तू बना,
तमन्नाओं की आग में, मत जिंदगी अपनी जला,
इस जहां से रुख्सती से पहले, एक मंत्र जिंदगी का तू सबको सिखा।।

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