क्यूं जलता है दिल, क्यूं आंख है नम,
क्यूं शिकवे है कई और वक्त है कम।
इस दबी हुई चिंगारी को हवा न दो,
इस राख के ढ़ेर पर महल अपना खड़ा न करो।।
जल जाएगा आशियाना तेरा, तू समझता ही नहीं,
गिर जाएगा महल तेरा, ये तुझे पता ही नहीं।
कहां लेकर जाएं इस नामुराद दिल को
हसरते हैं कई मगर कोई समझता ही नहीं।।
सूख गई नदी इन आंखों की,
अब किसी का प्यार इन पर बरसता ही नहीं।
उम्मीदे हैं कई, तमन्नाएं हैं कई,
मगर इनको पूरी करने की राह कोई दिखती ही नहीं।।
दफन हो जाएगी कब्र में ये नामुराद हसरतें मेरी,
क्योंकि कब्र से उठकर सपने कभी पूरे होते नहीं।।
क्यूं शिकवे है कई और वक्त है कम।
इस दबी हुई चिंगारी को हवा न दो,
इस राख के ढ़ेर पर महल अपना खड़ा न करो।।
जल जाएगा आशियाना तेरा, तू समझता ही नहीं,
गिर जाएगा महल तेरा, ये तुझे पता ही नहीं।
कहां लेकर जाएं इस नामुराद दिल को
हसरते हैं कई मगर कोई समझता ही नहीं।।
सूख गई नदी इन आंखों की,
अब किसी का प्यार इन पर बरसता ही नहीं।
उम्मीदे हैं कई, तमन्नाएं हैं कई,
मगर इनको पूरी करने की राह कोई दिखती ही नहीं।।
दफन हो जाएगी कब्र में ये नामुराद हसरतें मेरी,
क्योंकि कब्र से उठकर सपने कभी पूरे होते नहीं।।
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