आंखों में सपने लिए हजार,
फिरते हैं हम तमन्ना-ए-यार।
कोई तो मिले जो इन सपनों को पंख दें,
जीने के लिए इन सांसों को छंद दे।।
अवारा धड़कनों की कश्ती को किनारा दे,
टिमटिमाते हुए लौ को हाथों का सहारा दे।
हम जीए उस-के लिए, हम मरे उस-के लिए,
वो जो भरने को उड़ान एक खुला आसमान दे।।
सांसे मेरी जुड़ जाएं उसकी सांसों के तार से,
मुझे इस कदर जीने का वो अधिकार दे।
फिरते हैं हम तमन्ना-ए-यार।
कोई तो मिले जो इन सपनों को पंख दें,
जीने के लिए इन सांसों को छंद दे।।
अवारा धड़कनों की कश्ती को किनारा दे,
टिमटिमाते हुए लौ को हाथों का सहारा दे।
हम जीए उस-के लिए, हम मरे उस-के लिए,
वो जो भरने को उड़ान एक खुला आसमान दे।।
सांसे मेरी जुड़ जाएं उसकी सांसों के तार से,
मुझे इस कदर जीने का वो अधिकार दे।
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